तुम्हारी बातों में मीठास चाहता हूं तीखी तल्ख़ियां नहीं प्यार चाहता हूं वह दिन कहां खो गए जब एक दूजे को पाने के लिए बेचैन थे अपनी आदत सुधार लो जो ख्वाब देखा था अपनी ख्वाहिशों के अच्छे दिन चाहता हूं
तुम्हारी मीठी मीठी बातों की लत लग गई है इसीलिए मुलाकात को बेचैन रहता हूं मेरे रूह में कुछ इस तरह उतर गई हो अपनी किस्मत बदलने का ख्वाब देखने लगा हूं
उसने इंकार में भी प्यार का इजहार कर दिया कुछ इस तरह से मिलने लगी है मुझे पक्का विश्वास हो गया है मेरी मोहब्बत को स्वीकार कर लिया ख्वाबों खयालों में डूबा रहता हूं सही लड़की से आंखें चार कर लिया है