Hindi shayari | shayari sangrah | shayari Hindi
मुकद्दर बदलने के आसार दिखने लगे हैं हर कदम सही रास्ते पर चलने लगे हैं मंजिल पाने की खुशी बढ़ती जा रही है अरमानों के दीपक जलने लगे हैं मुश्किलों का अंधेरा हटने लगे हैं
तुम्हें किसी बात से दुख पहुंचे, मैं नहीं चाहता हूं मेरे वफा पर एक दिन नाज करोगी तुम्हारे नसीब में इतना सच्चा इंसान है
मेहनत करोगे सफलता मिलेगी आलस करने से दर पर आई हुई खुशी भी लौट जाती है संघर्षों से किस्मत बदल जाती है
हम अपनों से टूटे हैं विश्वास दिलाकर ऐसा लूटा किसी को अपने जख्म दिखाओ खुद की तौहीन होती है आंखों से बहकर आंसू सूख रहे हैं आजकल अपनी ख़ता ढूंढ रहे हैं