गुणकारी बातों का सृजन करने लगा हूं-हिंदी कविता

गुणकारी बातों का सृजन करने लगा हूं सफलता की राहों पर अग्रसर होने लगा हूं सभी मुश्किलें दूर होने लगी है दृढ़ हौसलों से आसमान छूने लगा हूं

KAVITA SANGRAH-मेरे टूटे अरमानों में 

मेरे टूटे अरमानों में खुशियां लेकर आई हो बिखर गए थे मेरे भाग्य जगाने आई हो मन के सन्नाटे में चहल-पहल लेकर आई हो

कविता संग्रह-मन की अभिलाषा

मन की अभिलाषा पढ़ लिखकर गुणवान बने मुझमें ऐसा संस्कार हो महान बने अपने आत्मानुशासन से अच्छे काम करें मन की अभिलाषा पढ़ लिखकर गुणवान बने

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Post a Comment (0)

और नया पुराने