जिंदगी मे दु:ख भरा ये मोड़ कैसा आ गया
नाव मझधार में थी तूफान कैसा आ गया
तूफान तो तूफान था घनघोर बादल छा गया
देखते ही देखते बिजलीयो की गड़गड़ाहट कान तक आने लगी
हवाओ का तेज झोका आधी बनकर चलने लगा
आकाश से पानी की बुन्दे लहलहाकर गिरने लगी
अब मुझे ऐसा लगे बचना यहा मुमकिन नही
देखकर ये दु:ख का मौसम
अब न मुझमे हिम्मत रहा की और आगे बढ़ सके
पतवार भी अब हाथ से है छुट जाना चहती
कुछ भी समझ में आये न मेरे क्या करे क्या न करे
मै तो मरता कुछ नहीं मासूम कितने साथ है
अब तो मेरी ज़िंदगी भगवान के ही हैं
नाव मझधार में थी तूफान कैसा आ गया
तूफान तो तूफान था घनघोर बादल छा गया
देखते ही देखते बिजलीयो की गड़गड़ाहट कान तक आने लगी
हवाओ का तेज झोका आधी बनकर चलने लगा
आकाश से पानी की बुन्दे लहलहाकर गिरने लगी
अब मुझे ऐसा लगे बचना यहा मुमकिन नही
देखकर ये दु:ख का मौसम
अब न मुझमे हिम्मत रहा की और आगे बढ़ सके
पतवार भी अब हाथ से है छुट जाना चहती
कुछ भी समझ में आये न मेरे क्या करे क्या न करे
मै तो मरता कुछ नहीं मासूम कितने साथ है
अब तो मेरी ज़िंदगी भगवान के ही हैं